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जांगिड समाज गांधीधाम के संस्थापक, कर्मठ समाज सेवी, निष्णात शिल्पकार, वेदमार्गी पं. भगवानदत्त जी जांगिड

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Gurudutt Sharma (Jangid)
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bhagwandutt

जांगिड समाज गांधीधाम के संस्थापक, कर्मठ समाज सेवी, निष्णात शिल्पकार, वेदमार्गी
पं. भगवानदत्त जी जांगिड का प्रेरणादायी जीवन

स्व. भगवान दत्त जी जांगिड का जन्म विक्रम संवत् 1983 को जन्माष्टमी के दिन (ई.सन् 1926 में) राजस्थान में रींगस के पास जेतुसर गाँव में हुआ था। आपकी माता श्रीमती गोरांदेवी एवं पिता श्री बेगाराम जी दैमण दोनों बहुत ही धार्मिक स्वभाव के थे । प्राथमिक स्तर तक की शिक्षा के बावजूद आप बचपन से ही कला कौशल में अधिक रुचि लेते हुए अद्भुत कला कृतियाँ बनाकर लोगों को चकित किया करते थे।

15 वर्ष की आयु में ही आप समाज में वेदों के प्रखर विद्वान पं. हरिकेशदत्त जी शास्त्री साहित्यालंकार के सम्पर्क में आए। उन्होंने आपका यज्ञोपवीत संस्कार करके जीवन को नया मोड़ दिया और महर्षि दयानंद सरस्वती का महान ग्रंथ सत्यार्थप्रकाश स्वाध्याय के लिए दिया । जिससे आप आध्यात्मिक उन्नति कर पाए ।
भगवान श्री विश्वकर्मा की कृपा और पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण आपको कला कौशल की नई नई तकनीकें सूझती रहती थी, इसी प्रतिभा के कारण 1942 में सीकर (राज.) के दरबार की इंडस्ट्री में आप तकनीशियन के रूप में लगे । स्वाधीनता के पश्चात कच्छ की खाड़ी पर नए बन रहे ‘कंडला पोर्ट’ के लिए बिछाई जा रही रेलवे लाइन प्रोजेक्ट में कार्य करते हुए आपका यहाँ कच्छ में आना हुआ। 1954 में कंडला पोर्ट का निर्माण कर रही विदेशी कंपनी में भी कार्य किया। जहां एक कुशल शिल्पकार, काष्ठकार, यंत्रकार के रूप में मिस्त्री जी के नाम से आप प्रसिद्ध हुए। उसी समय में ही आपने गांधीधाम को अपना स्थाई निवास
बनाया।

वैदिक धर्मी होने से आप यहाँ आर्यसमाज से जुड़े तथा 10 वर्षों तक आर्यसमाज गांधीधाम के मंत्री रहकर सेवा भी दी, साथ ही 1976 में आपने गांधीधाम में जांगिड समाज का संगठन भी स्थापित किया। आपकी धर्मपत्नि स्व. गुलाब देवी जी बहुत ही धार्मिक विचारों वाली एक आदर्श महिला हुई, जिन्होंने समाज सुधार व समाजसेवा के बड़े बड़े कार्य किए, साथ ही गांधीधाम तथा रींगस में वेद पारायण यज्ञों के बड़े आयोजन करवाए। जांगिड समाज गांधीधाम में महिलाओं को संगठित कर महिला मंडल का गठन कर महिलाओं को समाज में सक्रिय किया । आप आर्यसमाज गांधीधाम की प्रधाना भी रही । आपके तीनों सुपुत्र सर्वश्री चन्द्रप्रकाश शर्मा, गुरुदत्त शर्मा व अशोक कुमार शर्मा तथा पाँचों पुत्रियों के परिवार वैदिक विचारधारा से ओतप्रोत है जो समाज सेवा में हमेशा अग्रणी रहते है । सुपुत्र श्री गुरुदत्त शर्मा जांगिड समाज ट्रस्ट के वर्षों से अध्यक्ष तथा आर्यसमाज के महामंत्री व ‘डीएवी स्कूल’ के अध्यक्ष के रूप में प्रशंसनीय सेवाएँ दे रहे हैं। पूरे परिवार का यहाँ ऑटो मोबाईल व्यवसाय क्षेत्र में बड़ा नाम है ।

स्व. भगवानदत्त जी ने दो बार राष्ट्रपति भवन जाकर 1985 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह जी से व 1989 में राष्ट्रपति वेंकटरमण जी से मुलाक़ात कर भारत देश के विश्वकर्मा वंशी शिल्पकार समाज के उत्थान के लिए कुछ योजनाएं बनाने का निवेदन किया था । जब आप राष्ट्रपति भवन गए तब काष्ठकला के अजीब नमूने पेटी व छड़ी बनाकर भेंट के रूप में ले गए थे जिसे देखकर राष्ट्रपति जी ने इनकी कला की प्रशंसा की थी। सन् 1999 तक जांगिड समाज गांधीधाम को आपका सतत् मार्गदर्शन मिलता रहा ।

अपने परिवार जनों के साथ रींगस में यज्ञ करवाते हुए आपको शारीरिक कष्ट हुआ, आपको सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर ले जाया गया, जहां 11 सितम्बर 1999 को आपने अंतिम साँस ली। ई. सन् 2002 में जांगिड समाज गांधीधाम ने आपकी स्मृति में “जांगिड गौरव पुरस्कार” की स्थापना की, जिसमें प्रति वर्ष समाज की एक विशेष प्रतिभा को पुरस्कृत किया जाता है। इस प्रकार गांधीधाम जांगिड समाज के संस्थापक स्व. भगवान दत्त जी जांगिड का पूरा जीवन समाज को समर्पित व हम लोगों के लिए प्रेरणादायी रहा है । समाज के अन्य कार्यकर्ताओं की तरह मुझे भी स्व. भगवान दत्त जी के साथ सत्संग व समाज कार्य करने का काफ़ी समय मिला इसलिए मैं अपने आप को धन्य मानता हूँ ।

मोहनलाल जांगिड
सम्पादक

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